कहीं यह अराजकता भारी न पड़ जाएं
Bangladesh: बांग्लादेश के बुद्धिजीवियों की चुप्पी एक अराजक समाज की सृष्टि में मौन सहभागिता के रूप में देखी जा सकती है. यदि यह उपद्रव मात्र 8% हिंदू आबादी को केन्द्रित कर रची गई है, तो मानवता के लिए एक ऐतिहासिक कलंककारी घटना सिद्ध होगी.
Read moreबांग्लादेशी प्रधानमंत्री कार्यालय में लूट
Bangladesh: बांग्ला भाषी बांग्लादेश का जब निर्माण हुआ तब वहां की जनसंख्या अनुपात और वर्तमान में जनसंख्या के अनुपात में काफी परिवर्तन देखने को मिला है.
Read morePress Freedom Day: लोकतंत्र का चौथा स्तंभ अपने स्वतंत्र दिवस का लाभ लेते हुए चलती हुई कलम से एक कॉलम
Press Freedom Day: आज भी दुनियाभर के देशों में शक्तिशाली संस्थाओं और सरकारों के दवाब में ख़बरों को दबाया जाता है, पत्रकारों को जान से मरने की कोशिश की जाती है तो कही मार ही दिया जाता है.
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