Phir Aayi Hasseen Dillruba Movie Review : “मैं तेरी हर जिद मान लूंगा, बस याद रखना कि कोई तीसरा शामिल न हो।” यह डायलॉग है फिल्म फिर आई हसीन दिलरुबा का, जब रिशु (विक्रांत मैसी) रानी (तापसी पन्नू) से कहता है कि उनके प्यार के बीच कोई तीसरा नहीं आना चाहिए। लेकिन, कहानी का प्लॉट ऐसा है कि तीसरा तो आएगा ही, और इस बार वह है अभिमन्यु (सनी कौशल)। अगर आपने इस फिल्म का पहला पार्ट देखा है तो आपको याद होगा कि उसमें भी तीसरा शामिल हुआ था। पहली पार्ट की तरह, यह फिल्म भी रोमांटिक थ्रिलर है और नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई है। बिना देर किए, आइए फिल्म की समीक्षा करते हैं।
कहानी:
कहानी की शुरुआत वहीं से होती है, जहां पहली किस्त समाप्त हुई थी। रिशु की मौत हो चुकी है और रानी विधवा बन चुकी है। इस हादसे के बाद रानी अपने परिवार से अलग होकर आगरा में रहने लगती है, जहां रिशु भी छिपा हुआ है। अभिमन्यु को रानी से सच्चा प्यार हो जाता है, लेकिन उसका इतिहास और भी खतरनाक है। इस बार केस की जांच मोंटू चाचा (जिम्मी शेरगिल) कर रहे हैं, जो नील के सगे चाचा हैं और बदला लेने आए हैं। शहर में रिशु और रानी छिप-छिपकर मिलते रहते हैं। अभिमन्यु से रानी शादी कर लेती है ताकि पुलिस का शक उस पर से हट जाए। लेकिन मोंटू चाचा भी चालाक हैं, वह आसानी से हार मानने वाले नहीं हैं। शादी के बाद रानी अभिमन्यु से कहती है कि वह आज भी रिशु से प्यार करती है। अब कहानी में नया मोड़ आता है—अभिमन्यु, रिशु को मारकर रानी को पाना चाहता है। लेकिन आगे क्या होता है? क्या रानी रिशु की होगी या अभिमन्यु की? या फिर से कुछ ऐसा सस्पेंस उभर कर आएगा जो सबको चौंका देगा? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
अभिनय:
फिल्म की सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है एक्टिंग, जो इस फिल्म का मजबूत पक्ष है। मुख्य किरदारों में विक्रांत मैसी, तापसी पन्नू, और सनी कौशल हैं। विक्रांत, जो पहले पार्ट में एक सीधे-साधे किरदार में थे, इस पार्ट में उतने ही खतरनाक नजर आते हैं। इमोशन, डायलॉग डिलीवरी, और बॉडी लैंग्वेज में उन्होंने बेहतरीन काम किया है। तापसी का स्क्रीन स्पेस तो अच्छा है, लेकिन उनकी एक्टिंग में उतनी गहराई नहीं दिखती। उनका साड़ी पहनकर हॉट दिखना दर्शकों को जरूर आकर्षित करेगा। सनी कौशल ने औसत दर्जे की एक्टिंग की है, न बहुत शानदार, न बहुत खराब। परफॉर्मेंस की बात करें तो भूमिका दुबे ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। उनकी एक्टिंग ऐसी है कि आप उनके फैन हो जाएंगे। जिम्मी शेरगिल और आदित्य श्रीवास्तव ने भी अच्छा काम किया है, लेकिन उम्मीद से कम।
लेखन और निर्देशन:
फिल्म की कहानी, पटकथा, और संवाद कन्निका ढिल्लन ने लिखे हैं, जबकि निर्देशन जयप्रद देसाई ने किया है। फिल्म कहीं भी बोरिंग नहीं लगती है, लेकिन पहले पार्ट की तुलना में यह थोड़ी कमजोर है। सस्पेंस लगातार बना रहता है, लेकिन ऐसा नहीं कि आप कुछ सोच ही न सकें। फिल्म का स्क्रीनप्ले बिना बेवजह के सीन के सटीक रखा गया है। डायलॉग्स बहुत ही शानदार और लाजवाब हैं, कुछ तो ऐसे हैं जो सोशल मीडिया पर वायरल हो सकते हैं। हां, कुछ किस सीन जरूर हैं, लेकिन वे फिल्म की कहानी का हिस्सा लगते हैं। कुल मिलाकर, लेखन तो बहुत ही दमदार है, लेकिन निर्देशन में कुछ कमी है। कभी कहानी कमजोर पड़ने लगती है, तो कभी एक्टर्स। सीन और एक्टर्स को बांधकर रखने में जयप्रदा उतने सफल नहीं हुए हैं।
निष्कर्ष:
अब सवाल उठता है कि फिल्म देखनी चाहिए या नहीं। अगर आपको सस्पेंस पसंद है, या किसी कपल में तीसरे की एंट्री वाला प्लॉट अच्छा लगता है, तो यह फिल्म आपके लिए है। अगर आप दिनेश पंडित की कहानियों के फैन हैं, तो यह फिल्म भी आपकी पसंदीदा हो सकती है। या फिर अगर आप विक्रांत मैसी, तापसी पन्नू, सनी कौशल, या जिम्मी शेरगिल के फैन हैं, तो इस फिल्म को मिस न करें।
फिल्म के शानदार डायलॉग्स:
- “चलने से न चाल से, प्यार करने वालों को परखो उनके दिल के हाल से।”
- “यह किस्मत भी बड़ी कमीनी चीज़ है, अगर साथ न दे तो जनम-जनम का प्यार नहीं मिलता।”
- “किस्मत की लकीरें हाथ पर छपी होती हैं दोस्त, हमने तो अपनी मोहब्बत के लिए हाथ को ही उखाड़ दिया।”
- “अगर रानी जी के 4-5 आशिक यहाँ-वहाँ गड़े ना मिले, तो कोई घंटा मोहब्बत कर रहा है इस शहर में।”
- “जो पागलपन की हद से न गुजरे वो प्यार ही क्या? क्योंकि होश में तो रिश्ते निभाए जाते हैं।”
संक्षेप में: यह फिल्म एक बार जरूर देखने लायक है।