Laapataa Ladies: याद कीजिए वो दौर जब गांव में गिने चुने लोगों के पास मोबाइल फोन हुआ करता होगा. गांव के युवा मुश्किल से 10वीं की पढ़ाई करते होंगे. महिलाएंं साड़ी के पल्लू से चेहरा ढक के रखती होंगी और अपने पति का नाम लेना अनुशासन के विरुद्ध मानती होगी. ये सारी बातें सुनने में कोई कहानी-सी लग रही होगी. लेकिन, गांव के इन्ही सारे परंपरा पर हाल ही में एक लापता लेडीज नाम के फिल्म को फिल्माया गया है. यह फिल्म सिनेमाघरों में 1 मार्च 2024 को रिलीज हुई, लगभग दो महीने बाद 25 अप्रैल 2024 को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई. यह फिल्म बाकी फिल्मों की तरह सिर्फ एक फिल्म नाम भर सीमित नहीं है.
कहानी : शुरुआत फूल (नितांशी गोयल) की विदाई से होता है. शादी बाद दीपक (स्पर्श श्रीवास्तव) अपनी पत्नी को लेकर अपने घर जा रहा है. जब फूल को लिए ट्रेन में चढ़ता है तो बहुत भीड़ है. लेडीज है बैठा लीजिए, इस बात पर फूल को जगह मिल जाती है और वह बैठ जाती है. उसी ट्रेन के डब्बे में 2 जोड़े और हैं, जो शादी कर के जा रहे हैं. मतलब एक डब्बा में तीन दूल्हे और तीन दूल्हन. लेकिन दुल्हन को पहचान करने में दिक्कत हो सकती है, इसकी वजह है सिर से गले तक की घूंघट. दीपक जब ट्रेन से उतरता है तो ठीक ऐसा ही होता है. वह अपनी पत्नी को नहीं, बल्कि दूसरे की पत्नी को लेकर ट्रेन से उतर जाता है. जब अपने घर पहुंचता है और घूंघट हटाया जाता है तो दीपक की दुल्हन बदली जा चुकी होती है. नई दुल्हन का नाम पुष्पा (प्रतिभा रांटा) है. अब कहानी इसी विषय पर है कि दीपक को उसकी अपनी पत्नी मिलती है की नहीं या पुष्पा जानबूझकर ट्रेन से दीपक के साथ इसके घर आ गई. इसका सबसे बड़ा कारण, लंबे घूंघट का होना. शायद घूंघट नहीं होती तो दीपक अपनी फूल को पहचान लेता. दीपक मदद मांगने अपने लोकल पुलिस स्टेशन जाता है. थानाध्यक्ष श्याम मनोहर(रवि किशन) हैं, जो की पूरा घुसखोर दारोगा हैं. कोई भी काम बिना पैसा लिए कर दे, ये इंपॉसिबल है. आदत से मजबूर दारोगा जी, दीपक की पत्नी को खोजने के लिए घूस मांगते ही हैं, दीपक किसी तरह जुगाड़ कर के पैसा दे देता है. अब कहानी आगे बढ़ती जाती है और नया-नया ट्विस्ट होते रहता है. अब पूरी कहानी को इस लेख के माध्यम से ही पढ़ लेंगे तो फिल्म देखने में मजा नहीं आएगा. और मजा लेने के लिए फिल्म तो देखना ही पड़ेगा.
निर्देशन : किरण राव की निर्देशन में बनी फिल्म लापता लेडीज खूब तारीफ बटोर रही है. क्योंकि फिल्म की कहानी बहुत ही शानदार विषय पर है. जिसे हम सभी को जानना बेहद जरूरी हैं. किरण राव की यह दूसरी फिल्म है. इससे पहले 2011 में धोभी घाट निर्देशित की थी. किरण ने दोनों फिल्मों में सामाजिक मुद्दे के कहानी को दिखाया हैं. अगर निर्देशन की बात करें तो, हर सिचुएशन को किरण ने अच्छे फ्रेम के साथ फिल्माया हैं. वो चाहे क्लोज-अप या लॉन्ग शॉट हो. मतलब जैसा सीन वैसा शॉट और फ्रेम. कहानी पर शुरू से अंत तक पकड़ बनी रहती है, कहीं भी कमजोर नहीं पड़ती. कॉमेडी सीन हल्के-फुल्के हैं, वो भी मजेदार हैं. आपको जानकारी के लिए बता दें कि लापता लेडीज से पहले फिल्म का नाम टू ब्राइड्स (Two Brides) था.
अभिनय : दीपक की भूमिका में स्पर्श श्रीवास्तव ने गजब का काम किया हैं. दीपक की फेशियल एक्सप्रेशन और डायलॉग डिलीवरी बहुत ही शानदार हैं, बिना बात घुमाए बोले तो नंबर 1. फूल की भूमिका निभाने वाली नितांशी गोयल का भी काम काबीले तारीफ हैं. क्योंकि नितांशी वैसे भी अभी उम्र में कम हैं. लेकिन अपने उम्र से ज्यादा ही सहज और क्यूट अभिनय की हैं. पुष्पा की भूमिका में प्रतिभा रांटा ने कुछ खास अलग नहीं की हैं , शुरू से अंत तक एक ही एक्सप्रेशन में दिखती हैं. लेकिन अपने रोल में परफेक्ट दिखती हैं. कहानी के डिमांड के अनुसार प्रतिभा सही चुनाव हैं. अब सबकी बात हो ही गई तो फिल्म के चर्चित कलाकार रवि किशन की बात ना हो, यह तो बहुत गलत है. पुलिस के भूमिका में रवि किशन ने जबरदस्त अभिनय किया हैं. आपको सिंघम या सूर्यवंशी वाले पुलिस नहीं लगेंगे लेकिन अंत में आपको इस पुलिस के किरदार से प्यार हो जाएगा. घुसखोर दारोगा कैसे कहानी में ट्विस्ट लाता है और अंत तक दर्शक का फेवरेट किरदार बन जाता है. पान चबाते हुए ड्यूटी करना और डायलॉग के साथ इशारे में एक्टिंग करना टफ तो है लेकिन रवि किशन ने बहुत ही सहज तरीके से इस अभिनय को निभाया है.
फिल्म देखें या नहीं…
अगर आप पुराने समय के गांव को समझना चाहते हैं, तो यह फिल्म आपको बिलकुल देखनी चाहिए. ऐसा आपके समाज में, अगल-बगल में, रिश्तेदार में क्या होता हैं ? आज भी औरतें घूंघट में क्यों रहती है, इसका कारण आपको जानना चाहिए. अगर आप शहर, महानगर, मेट्रो सिटी से बिलॉन्ग करते हैं तो आपके लिए यह सारी बाते जानना बेहद जरूरी बन जाता है. आपने अपने शहर में ऐसा सिचुएशन तो नहीं देखा होगा लेकिन ऐसा होता है तो आखिर क्यों होता हैं. कम उम्र में गांवो में लड़की की शादी कर दी जाती हैं, उसके लिए सबकुछ पति धर्म ही हैं. अपने पति से ऊंचे आवाज में बात नहीं कर सकती, अपने मन का सपना पूरा नहीं कर सकती, आखिर क्यों?
न्यूजमॉरो डॉट इन की टीम से इस फिल्म को 4.5 ⭐
Edited by @vk-upadhyay