कहीं यह अराजकता भारी न पड़ जाएं
Bangladesh: बांग्लादेश के बुद्धिजीवियों की चुप्पी एक अराजक समाज की सृष्टि में मौन सहभागिता के रूप में देखी जा सकती है. यदि यह उपद्रव मात्र 8% हिंदू आबादी को केन्द्रित कर रची गई है, तो मानवता के लिए एक ऐतिहासिक कलंककारी घटना सिद्ध होगी.
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