न्यू मीडिया ने संभावनाएं बढ़ाई लेकिन गंभीर चुनौतियों को दिया जन्म

New Media: महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय में मीडिया अध्ययन विभाग के द्वारा ‘मीडिया का दायित्व और चुनौतियां’ विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के संरक्षक कुलपति प्रो संजय श्रीवास्तव रहे. संगोष्ठी के मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार पवन प्रत्यय और अध्यक्षता मीडिया अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अंजनी कुमार झा ने की. धन्यवाद ज्ञापन संगोष्ठी संयोजक डॉ परमात्मा कुमार मिश्र ने की.

बतौर मुख्य वक्ता पवन प्रत्यय ने कहा कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ होने के कारण मीडिया का दायित्व भी काफी व्यापक है. आजादी के पूर्व मीडिया का दायित्व जनजागरण एवं नागरिकों में राष्ट्रप्रेम की भावना को जागृत करना था. आजादी के बाद मीडिया के दायित्व का विस्तार हुआ. नब्बे के दशक में जब तकनीकी विकास के साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उद्भव हुआ और मीडिया के साथ ‘इंडस्ट्री’ शब्द जुड़ गया तब मीडिया की भूमिका में एक बड़ा परिवर्तन आया. यह चिंतनीय है कि अब जनसंचार से जन का लोप होता जा रहा है और केवल संचार ही केंद्र में रह गया है, जो अब एक बड़ी चुनौती बन गई है.

उन्होंने कहा कि पीत पत्रकारिता का बढ़ता प्रचलन और मीडिया ट्रायल ने मीडिया की छवि को धूमिल भी किया और मीडिया की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न खड़ा कर दिया. वर्तमान समय में न्यू मीडिया के उद्भव ने मीडिया के क्षेत्र में संभावनाओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, परंतु अत्यधिक सुलभ होने के कारण इसने गंभीर चुनौतियों को भी जन्म दे दिया है. आज सूचनाओं की सत्यता को जानना पत्रकार एवं पाठक दोनों के लिए बड़ी चुनौती हैं. एक पत्रकार के रूप में डीप फेक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में तथ्यों को परखना, सूचना के स्रोत की विश्वसनीयता को पहचानना अति आवश्यक हो गया है.

मीडिया के क्षेत्र में संभावनों के बारे में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए श्री प्रत्यय ने कहा कि सबसे पहले आप अपना लक्ष्य तय करें. जिस काम में रुचि हो वही काम करें, तभी आप अपना शत प्रतिशत दे पाएंगे. इसके अलावा समय के महत्व को समझें, अपने इतिहास को जाने, ज्ञानार्जन का कोई भी मौका अपने हाथ से ना जाने दें और मीडिया लिटरेसी के महत्व को भी समझें.

अध्यक्षीय उद्बोधन में विभागाध्यक्ष डॉ अंजनी कुमार झा ने कहा कि वर्तमान समय में मीडिया की उपयोगिता, महत्व एवं भूमिका निरंतर बढ़ती जा रही है. कोई भी समाज, सरकार, वर्ग, संस्था, समूह व्यक्ति मीडिया की उपेक्षा कर आगे नहीं बढ़ सकता. आज के जीवन में मीडिया एक अपरिहार्य आवश्यकता बन गई है. लेकिन तकनीक के इस दौर में एक पत्रकार के रूप में यह अति आवश्यक है कि हम इसके लाभ एवं हानि को समझें, ग्राउंड रिपोर्टिंग की परंपरा से जुड़ कर रहें और समाज को तथा विशेष कर नई पीढ़ी को भारतीय परंपराओं से जोड़ने में अपनी भूमिका निभाएं.

संगोष्ठी संयोजक डॉ परमात्मा कुमार मिश्र ने कहा कि मीडिया का जैसे-जैसे विस्तार हुआ है उसी तरह से मीडिया के दायित्व और चुनौतियां भी बढ़ी हैं. आज सूचना तंत्र के अनेक आयामों का विकास और विस्तार हुआ है, जिससे दायित्व और चुनौतियों के अनेक स्वरूप देखने को मिलते हैं. स्वतंत्रता संघर्ष काल में मिशन रूपी पत्रकारिता का दायित्व आजादी प्राप्त करना था, जिसके समक्ष अनेक चुनौतियां थी.

संगोष्ठी में प्रश्नोत्तरी सत्र का आयोजन किया, जिसमें मुख्य वक्ता ने पत्रकारिता से जुड़े अनेक समसामयिक मुद्दे, पत्रकारिता के दायित्व, विश्वसनीयता और चुनौतियों पर विद्यार्थियों के प्रश्नों का उत्तर दिया. प्रश्नोत्तर में रुचि भारती, तुशाल कुमार, जय कुमार, अदिति, राजनंदनी, अपूर्वा, गजेंद्र कुमार, श्रेयांस पराशर आदि ने भाग लिया.

संगोष्ठी में मीडिया अध्ययन विभाग के शिक्षक एवं आयोजन समिति के सदस्य डॉ साकेत रमण, डॉ सुनील दीपक घोड़के, डॉ. उमा यादव सहित विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों की उपस्थिति थी. मंच संचालन छात्रा अदिति सिंह और खुशी कुमारी ने किया. संगोष्ठी का समापन राष्ट्रगान से हुआ.

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