Lok Sabha Election Result 2024: भाजपा बहुमत से क्यों दूर रह गई

Lok Sabha Election Result 2024: लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं. इस पूरे चुनाव के परिणाम को देखें तो भाजपा बहुमत से दूर रह गई है. साथ ही तमाम लोग जो भाजपा के लिए एक बड़ी जीत का अनुमान लगा रहे थे उन सभी को एक बड़ा झटका लगा है. यही नहीं आज शेयर बाजार में भी बहुत बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है. आंकड़ों की माने तो सेंसेक्स 6000 अंक क्रैश हुआ जबकि निफ्टी 1900 अंक टूटा है.

एक तरफ जहां एनडीए में 400 पार का नारा दिया जा रहा था. दूसरी ओर अभी प्राप्त आंकड़ों के अनुसार भाजपा 240 सीटों के आसपास सिमट कर रह गई है. वहीं विपक्षी गठबंधन ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है. बेशक भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन कर आई है. लेकिन पिछले दो लोकसभा चुनाव में भाजपा द्वारा अकेले के दम पर बहुमत प्राप्त करने और नरेंद्र मोदी के कार्यों और का दंभ भरने वाले लोगों के लिए यह बहुत बड़ा झटका है.

सबसे पहले बात इस लोकसभा चुनाव के करें तो इस चुनाव के परिणाम में यह साबित कर दिया कि लोक कल्याणकारी नीति और महंगाई बेरोजगारी जैसे मुद्दों को दरकिनार नहीं किया जा सकता. अग्निवीर और सरकारी पदों पर भर्ती को लेकर उदासीनता सरकार के पक्ष में नहीं रहा है।उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में यह बात एक भरत वाक्य साबित हुआ है.

दूसरी ओर जिस मुद्दे पर उत्साह सबसे ज्यादा था वह है राम मंदिर. लेकिन राम मंदिर का मुद्दा लोगों को वोट करने ले जाने में उस तरह से सक्षम साबित नहीं हुआ.

एक बात और 400 पार के नारे और तमाम चुनाव पूर्व कई सर्वे में भाजपा सरकार की बड़ी जीत के दावे के कारण मतदाताओं का एक वर्ग मतदान को लेकर उदासीन हो गया.

इस लोकसभा चुनाव में दूसरे चरण में बाद भाजपा का आक्रामक प्रचार जनता तक सकारात्मक तरीके से नहीं पहुंचा.

कई लोकसभा क्षेत्रों में तो निर्दलीय प्रत्याशियों ने भाजपा का वोट काटकर उन्हें हारने का रास्ता दिखाया, इसे आप बिहार के बक्सर और काराकाट जैसे लोकसभा जगहों पर बखूबी देख सकते हैं.

ध्यातव्य है कि पहले से ही यह अनुमान लगाया जा रहा था कि यह चुनाव पूरी तरह से मोदी केंद्रित रहेगा। लेकिन जनता ने इस चुनाव में वोटिंग के दौरान स्थानीय कैंडिडेट की तरफ़ भी देखा है.

पिछले 10 सालों से सत्ता में रहने के कारण एक सत्ता विरोधी लहर भी थी जिसे आंकड़ों के खिलाड़ी भाप नहीं पाए.

इस चुनाव में संविधान और तानाशाही जैसे मुद्दे कहीं ना कहीं जमीनी स्तर पर जनता को प्रभावित किया है। विशेषकर विपक्ष दल ईडी सीबीआई के दुरुपयोग के मुद्दों को जनता तक पहुंचाने में कामयाब रहे हैं.

इस चुनाव में एक बड़ा कारक राहुल गांधी का लोककल्याणकारी वादों के साथ जनता के बीच जाना और उन वादों की तरफ लोगों का रूझान दिखाना भी रहा. साथ ही उत्तर प्रदेश में सपा कांग्रेस का गठबन्धन भी बेहतर परिणाम लेकर आया है.

इस चुनाव ने पिछले 10 वर्ष की राजनीतिक व्यवस्था को बदल दिया है. भारत फिर से गठबंधन की राजनीति के दौर में प्रवेश कर रहा है। फिलहाल केन्द्र में एनडीए गठबंधन की सरकार कितना सफल होती है यह भविष्य के गर्भ में है.

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