Lok Sabha Election 2024: किसी का प्रसार प्रचार तो कोई कोर्ट का चक्कर लगाने में परेशान, जानें क्या है दिल्ली का हाल

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 शुरू होने में गिनती के दिन बचे है. जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है चुनावी तापमान बढ़ता जा रहा है, जिसकी गर्मी महसूस ही नहीं हो रही बल्कि दिखाई भी दे रही है. सात चरण में होने वाले चुनाव का पहला चरण 19 अप्रैल को होगा, जिसमे 21 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों की 102 सीटों के लिए 1,625 उम्मीदवार मैदान में है.

एक तरफ सत्ता पक्ष चुनावों का प्रचार जोरों-शोरों से कर रही है तो दूसरी तरफ विपक्षी गठबंधन में से कोई कोर्ट के चक्कर काटने में लगा है तो कोई धरना प्रदर्शन में व्यस्त है. वही कांग्रेस अभी भी कई सीटों को लेकर पशोपेश में है.

पिछले साल नए कलेवर और नए तेवर के साथ पटना की धरती से एकजुटता का संदेश देने वाले विपक्षी गठबंधन ने भी कमर कस ली है. एनडीए का लक्ष्य 400 पार का है तो वहीं महागठबंधन मोदी सरकार के विजयी रथ पर लगाम लगाने के सपने देख रहा है.

यह भी सच है कि बीते 6-8 महीनों में इंडिया गठबंधन भी कमजोर हुआ है. ममता, नीतिश जैसे नेताओं के अलग होने और पाला बदलने के बाद से चुनौती बढ़ी है. वही, दिल्ली में दुश्मन के दुश्मन दोस्त होते है इसी मुहावरे के नक़्शे कदम पर चलते हुए आप और कांग्रेस मोदी के खिलाफ साथ आये है.

कभी कांग्रेस को खाते-पीते कोसते रहने वाले अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली में अपनी सरकार बनाई थी. आज उसी पार्टी के साथ लोकसभा चुनाव के मैदान में है. दिल्ली की लोकसभा सीट बंटवारे की बात करें तो आप पार्टी की लोकप्रियता वर्तमान में ज्यादा है. यही वजह है दिल्ली की सीट बटवारें में आम आदमी पार्टी की ही चलनी थी.

दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों में से 4 आप ने अपने पास रखी और बाकि 3 सीटों से कांग्रेस को संतोष करना पड़ा. कांग्रेस के पशोपेश को देखते लगता है फैसला सही ही था. वैसे तो दिल्ली में चुनाव पांचवे चरण यानी 25 मई को होने है.

भाजपा ने जहां एक सांसद को छोड़ बाकि सभी सीटों पर नए प्रत्याशियों को टिकट दिया है. आप ने भी चारों सीटों के उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है और कांग्रेस अभी तक तय ही नहीं कर पा रही की किसे उतरा जाए.

पिछले दो बार के लोकसभा चुनावों में दिल्ली की जनता ने सातों सीट पर भाजपा पर भरोसा दिखाया. इस बार आप और कांग्रेस के गठबंधन के बाद कुछ सीटों पर काटें की टक्कर देखी जा सकती है. पर अभी तक दिल्ली की तीन सीटों (उत्तरी-पश्चिम दिल्ली, उत्तरी-पूर्वी और नई दिल्ली ) पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है. पार्टी मुख्यालय में कई स्तरों पर बैठक का दौर जारी है.

बीतें दिनों हुई बैठक में दिल्ली कांग्रेस इकाई की तरफ से हर सीट से दो नामों को आगे बढ़ाया गया था. वहीं, चुनाव समिति ने प्रदेश इकाई को निर्देश दिए हैं कि वह तीनों सीटों पर अपने स्तर पर उम्मीदवारों के नाम तय करके एक-एक नाम भेजे. इस कारण स्क्रीनिंग कमेटी को दोबारा सूची भेजने को कहा है.

प्रदेश कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी ने उत्तर पूर्वी लोकसभा क्षेत्र से पूर्व सांसद संदीप दीक्षित व प्रदेश अध्यक्ष अरविंद सिंह लवली, चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र से पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल व पूर्व विधायक अल्का लांबा और उत्तर पश्चिम दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से पूर्व सांसद उदित राज व पूर्व मंत्री रामकुमार चौहान के नाम भेजे थे.

कांग्रेस चुनाव समिति में सुगबुगाहट कन्हैया कुमार को लेकर भी तेज़ है. कांग्रेस आलाकमान उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से दो बार के सांसद और भाजपा प्रत्याशी मनोज तिवारी के खिलाफ जेएनयू के नेता रहे कन्हैया कुमार को चुनाव लड़ाना चाहता है. लिहाजा, दोबारा भेजे जाने वाली सूची में कन्हैया कुमार का नाम शामिल कर भेजने की उम्मीद है.

काफी समय बाद पार्टी में एक बार फिर सक्रीय हुए अरविंदर सिंह लवली का नाम भी इस रेस में आगे बताया जा रहा है. लेकिन उत्तर-पूर्वी दिल्ली के चुनावी समीकरण को देखते हुए सांसद मनोज तिवारी के खिलाफ किसी पूर्वांचली को ही टिकट दिया जा सकता है. वहीं, उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र से उदित राज व चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र से अल्का लांबा का नाम हो सकता है.

दरअसल, इंडिया गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी के अपने हिस्से में आईं चार सीटों पर उतारे उम्मीदवारों में एक भी महिला नहीं है. इस कारण अल्का लंबा को टिकट मिलने की संभावना बनी हुई है, क्योंकि भाजपा ने दो महिलाओं को टिकट दिया है. चांदनी चौक से भाजपा स्व. सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को टिकट दिया है. बांसुरी लगातार प्रचार कर रही है लोगों के बीच पहुँच रही है और सामने से उनके खिलाफ उम्मीदवार भी तय नहीं हुआ है इसका फायदा उन्हें मिलता दिखाई दे रहा है.

बहरहाल, देखने वाली बात होगी कांग्रेस नेतृत्व किनको टिकट देता है. अभी तक प्रत्याशियों का तय ना होना दर्शाता है दिल्ली की राजनीति में कांग्रेस कितना पिछड़ गई है. प्रदेश इकाई इतनी खोखली हो गई है जो प्रत्याशी का नाम तक तय नहीं कर पा रही है.

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