Dukaan Movie Review: कृति सैनन के बाद मोनिका बनी सरोगेट मदर

Dukaan Movie Review: दुकान फिल्म सरोगेसी पर आधारित है, इस विषय पर भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में कई फिल्में बन चुकी हैं. वर्ष 2021 में कृति सैनन और पंकज त्रिपाठी अभिनीत फिल्म मिमी इसी विषय पर आधारित थी. कृति को मिमी के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला.

सरोगेसी का मतलब किराए का कोख होता है. अगर किसी दंपती को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है तो वो किसी महिला के कोख किराए पर लेते है फिर बच्चा का जन्म होता है. वैसे अब इस व्यापार पर रोक लग गया है. लेकिन, 10 वर्ष पहले तक मान्य था.

गुजरात के आनंद कस्बा अपनी इसी व्यवसाय के लिए प्रसिद्ध था. देश-विदेश से दंपती और कपल आते थे. फिल्म का विषय अन्य मसाला फिल्मों से बिलकुल अलग है. तो चलिए पढ़ते है दुकान फिल्म की समीक्षा , आखिर फिल्म कैसी है?

कहानी

चमेली ( मोनिका पंवार ) एक बहुत ही धाकड़ और निडर लड़की है. स्कूल में चमेली से अपना नाम जैस्मिन रख लेती है. उसे छोटे बच्चे से बिलकुल प्यार नहीं है. वह मां भी नहीं बनना चाहती. उसे अपने से दोगुने उम्र के समीर (सिकंदर खेर ) से प्यार हो जाता है और शादी भी कर लेती है. उसे पता है कि समीर की एक बेटी भी है, जो उसके ही स्कूल में पढ़ती है और 2 साल जूनियर है. लेकिन जैस्मिन कहां किसी से डरने. भूकंप हादसे में समीर की मृत्यु हो जाती है. लेकिन जैस्मिन कमजोर नहीं पड़ती. अपने सौतेली बेटी की शादी के लिए सरोगेट मदर बन जाती है.

उसके पेट में पल रहा बच्चा दिया (मोनाली ठाकुर) और अरमान (सोहम मजूमदार) का है. उसे उस बच्चा से प्यार हो जाता है और मां बनने से पहली उसे लेके भाग जाती है. लेकिन उसे अपनी असली संतान से उतनी मोहब्बत कभी नहीं हुई. फिर केस-मुकदमा होता है , कहानी में ट्विस्ट आता है. सरोगेसी से जो बच्चा जन्म लेता है उसे जैस्मिन रखती है या असली दंपति दिया-अरमान. इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी.

लेखन-निर्देशन

फिल्म के लेखक-निर्देशक सिद्धार्थ सिंह और गरिमा वहल हैं. बतौर जोड़ी निर्देशक सिद्धार्थ-गरिमा की यह पहली निर्देशित फिल्म है. इससे पहले यह जोड़ी ब्लॉकबस्टर गोलियों की रासलीला राम लीला, पद्मावत, कबीर सिंह, एनिमल जैसी फिल्में लिख चुके हैं. इस फिल्म में संजय लीला भंसाली निर्देशित फिल्मों की झलक देखने को मिलती है. क्योंकि, यह जोड़ी भंसाली के पसंदीदा लेखक थे. लेखन तो काफी शानदार है, संवाद भी बेहद लाजवाब है, स्क्रीनप्ले में थोड़ी बहुत कम रह गई है. लेकिन सबसे ज्यादा कमी निर्देशन में रह गई है. सिद्धार्थ-गरिमा लेखक के तौर पर तो अव्वल रहे लेकिन ठीक इसके विपरित निर्देशन में फिसड्डी साबित हुए. कभी कहानी रुक जाती है तो कभी भागने लगती है, कभी शानदार लगती है तो कभी बोरिंग. इंटरवल से पहले तक कहानी लय में बनी रहती है लेकिन इंटरवल बाद कहानी धीमी और कमजोर पड़ जाती है. लेखन के लिए सिदार्थ-गरिमा की तारीफ की जा सकती है लेकिन निर्देशन में जादू नहीं बिखर पाए.

अभिनय

मोनिका पंवार लीड रोल में है. मोनिका की अभिनय बहुत ही शानदार है. अभिनय ऐसा लग रहा है जैसे पद्मावत फिल्म में दीपिका पादुकोण ने की थी. हर सीन और डायलॉग में मोनिका बेहद शानदार और सहज अभिनय करती नजर आती है, कहीं भी कमजोर नहीं पड़ती. मोनाली की एक्टिंग की तारीफ वेब सीरीज जामताड़ा : सबका नंबर आयेगा में ही हुई थी. उसी समय से कहा जाने लगा कि आने वाली समय की सबसे शानदार अभिनेत्रीयों में से एक होगी. बाकी अन्य कलाकार सिकंदर खेर, मोनाली ठाकुर , सोहम मजूमदार सबने बढ़िया काम किया है. कैमियो रोल में सन्नी देओल नजर आए है.

फिल्म देखें या नहीं

अगर सामाजिक मुद्दे पर बनी फिल्म आपको अच्छी लगती है तो देख सकते है. मसाला फिल्मों के शौकीन नहीं है तो देख सकते है. गुजरात की कस्बा आनंद की असलियत जानना चाहते है तो भी फिल्म देख सकते है.

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Ravi Shankar Chandravanshi

Ravi Shankar is a Trainee Journalist at IIMC Delhi. He is pursuing PGD Diploma in English Journalism at IIMC Delhi. He is a vlogger, content writer, Content creator, Assistant Director. He has worked in film and TV industry as an assistant Director cum Writer. He has written more than 20 films in Bhojpuri, and worked as an assistant director in TV serial Chhoti Sardarni at Colors TV.

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